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Sunday, 28 January 2024

भँवरा कहीँ उड़ जावे

 

एक भँवरा बंद कवल में करें गुंजन, गुरु धुन गावे

कवल दल के बीच बैठकर मन उसका बडा सुखावे ।।१।।

 

बैंगनी रंग का कवल है जिसमे में है सहस्र दल।`

वो भँवरा हक़दार कवल का जिसमे कोई मैल ।।२।।

 

भँवरे की गुंजन से सहस्र दल आकाश में खुल जावे।

आकाश तत्व में खुलकर कवल सहस्रसार कहलावे ।।३।।

 

जीव शिव का हो मिलन उस में और तेज़ बन जावे।

घुल जाए आकाश में गुंजन और भँवरा कहीँ उड़ जावे ।।४।।

 

रविवार दिनांक २८//२०२४ , :३८  PM  

अजय सरदेसाई (मेघ)




झीनी-झीनी बिनी साँई ने चदरिया


 

झीनी-झीनी बिनी साँई ने चदरिया

पंच तत्वों से बनी झीनी-झीनी चदरिया

माह दस लागे बुनन झिनी झिनी चदरिया

एक बार जिव को जो ओढाई चदरिया

मैली हो जाए रे वो झीनी-झीनी चदरिया

ज्युकेत्यु कभी रहत फिर वो चदरिया

चाहे कबिर ही क्यों ओढी हो चदरिया

मैली तो होनी है सत्य ही  झिनी झिनी चदरिया

पंचतत्व थी और पंचो में फिर मिल जाए चदरिया

अगला क्रम जब करना हो जीवको

चिव पहने फिर एक नयी झीनी-झीनी चदरिया

पंच तत्वो से जो बिनी साँई ने झीनी-झीनी चदरिया

सुनो रे सब सुर असुर नर नारी जो कहत कबिर हरदम सच नाही री

चदरिया जो ना हो मैली वैसी किसी जिव को कभी ओढने ना मिली री

 

रविवार दिनांक २८//२०२४ , :३६ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

Monday, 15 January 2024

नृसिंह सरस्वती पंचकं



इंदुकोटी मुख-प्रभा,लोचनं करुणा भास्करं

अमृतदृष्टी किरणं सदा त्रिविधताप हारकं

वंदयामि नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम्

 

त्वं शीतलं , बन्धमृत्युविमुक्तिप्रदः विभुं  

सेव्यभक्तवृंदवरद भूयो-भूयो नमांम्यहं श्रीगुरुं

वंदयामि नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम्

 

सकल दुरित निग्रहणं त्वं सर्व सद्रक्षणं

हतः हिरण्यकाश्यपुं त्वं प्रह्लादं आशीर्वादं

वंदयामि नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम्

 

मायपाश खंडनं त्वं सायुज मुक्ती दायकं

भक्तवरदवत्सलं भूयो-भूयोनमांम्यहं श्रीगुरुं 

वंदयामि नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम्

 

त्वं ओंकार नादं त्वं सर्वथा असि अमर्यादितम

भवतः शक्तिं वर्णयितुं "मेघ"असमर्थकम

वंदयामि नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम्

 

सोमवार, १५//२०२४ , ११:४५ AM

अजय सरदेसाई ( मेघ )


Wednesday, 10 January 2024

मुझे ये बता


जब तु ही है साहील और तु ही नाखुदा I

फिर ये कश्ती किस लिए तु मुझे ये बता  II1 II


तु देखता है मुझे हर दम,मैं आंखों से तुझे देख नहीं सकता I

फिर भी ये चोली दामन का साथ हमारा क्युं है तू मुझे बता  II2 II


तेरी याद से दिल भर आए तेरे नाम से आंख I

ये कैसा है अजब प्यार हमारा तुम्हारा ये बता  II3 II


अनंत ब्रम्हांड को व्यापकर भी तु दस उंगली बाकी रहा I

मैं बस इक तिंनका फिर तु मेरे दिल में कैसे समाया ये बता  II4 II


तेरे मेरे लौकिक रुप में अंतर है बहुत ही बड़ा I

फिर हमारा अलौकिक स्वरुप एक क्युं है ये बता  II5 II


तुम में और मुझ में जब कोई अंतर ही नहीं I

फिर ये पर्दादारी किस लिए तू मुझे ये बता  II6 II

 

कश्ती = शरीर , body

 

बुधवार, दिनांक १०//२०२४ , १०:३०  PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

 

Tuesday, 9 January 2024

मालिक



तुने मुझे यहाँ सब कुछ दिया है मेरे मालिक।

बस तुझे शुक्रिया कहने का हुनर दिया मालिक।।१।


मंज़िले दूर और राहे बड़ी मुश्किल थी जिन्दगी में।

लेकीन हर रह पर तु मेरा निगेहबान रहा मालिक।।२।


दिल को मेरे हर पल हर घड़ी तेरा एहसास हुआ।

लेकिन मैं ही तझे कभी देख पाया मालिक।।३।


जिन्दगी कुछ दुर तक भी नहीं चलती मेरी मालिक

अगर तुमने रहबर बनकर चलाया होता मालिक।।४।


तेज धुप में दरख़्तों कि शितल छाव मिली।

मैं जान गया ये सब तिरी मेहरबानियां मालिक।।५।


जिन्दगी बहुत खुबसूरत रही अब तक मालिक

तुने मुसीबतों को मुझ से बहुत दूर रखा मालिक ।।६।

 

मंगलवार, दिनांक //२०२४ , :०८ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)