एक भँवरा बंद कवल में करें गुंजन, गुरु धुन गावे ।
कवल दल के बीच बैठकर मन उसका बडा सुखावे ।।१।।
बैंगनी रंग का कवल है जिसमे में है सहस्र दल।`
वो भँवरा हक़दार कवल का जिसमे न कोई मैल ।।२।।
भँवरे की गुंजन से सहस्र दल आकाश में खुल जावे।
आकाश तत्व में खुलकर कवल सहस्रसार कहलावे ।।३।।
जीव शिव का हो मिलन उस में और तेज़ बन जावे।
घुल जाए आकाश में गुंजन और भँवरा कहीँ उड़ जावे ।।४।।
रविवार दिनांक २८/१/२०२४ , ६:३८ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)