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Wednesday, 29 November 2023

काय करु देवा


काय करु देवा आता पाहुन रुप तुझे ।

जर अंतरी अस्तित्व तुझे कळले च नाही।

अडकून रूपांत रे आता काय करु देवा ।

जर स्वरुप च तुझे मी जाणलेची नाही ।

वाचुन संत वाणी उमगलास तु जरासा ।

तुझीच कृपा रे दाविले संत वैभव मज ।

आता दत्त राया त्यांच्या डोळा पाहीन मी तुज।



II अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त II


बुधवार २९/११/२३ , ४:२७  PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

द्वैत रे द्वैत


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🌹          द्वैत            🌹

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹


मी मात्र सांगतो माझे च आहे गाणे
माझे अंतर मन जाणे खरे खोटे 
तु गातोस गाणे तुझे माझ्या कंठातुन
तु लिहीतोस तराणे तुझे माझ्या हातुन
तु अद्वैत ठेविले नेहमीच आपल्यांत
मी ते माझे म्हंटले रे नी  द्वैत  आले
मी ते माझे म्हंटले रे नी  द्वैत  आले


II अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त II 

😢🙏


बुधवार २९/११/२३ ०३:०३ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)

Tuesday, 28 November 2023

दत्त ची अणुरेणुत असे


दत्त ची धर्म

दत्त ची कर्म

दत्त ची कर्म फलित असे 


दत्त ची पुजा

दत्त ची अर्चा

दत्त ची जिवाचे मर्म असे 


गाऊ दत्त नाम

करु दत्त काम

दत्त ची जिथे तिथे दिसे 


दत्त ची जननी

सर्व दत्त कारणी

दत्त ची अणुरेणुत असे 


अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त

🙏🔥🙏


मंगळवार २८/११/२३ 

अजय सरदेसाई (मेघ)

Friday, 24 November 2023

दत्ता स्मरणांत तुझ्या कैवल्य मिळावे


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    दत्ता स्मरणांत तुझ्या

       कैवल्य मिळावे

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अज्ञात या ठिकाणी तु मज प्रेम पांघरावे।
दोळ्यांतुन माझ्या तुझे रुप पाझरावे।
जे शाश्वत ते मिळावे नच तृष्णे ने उरावे ।
आनंद घन होऊन तु मज वरी बरसावे ।
दत्ता स्मरणांत तुझ्या कैवल्य मिळावे ।

शुक्रवार २४/११/२३ १०:५३ AM
अजय सरदेसाई (मेघ)

Thursday, 23 November 2023

इसबात


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इसबात

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वो दूर से जो गुंज मेरे कोनों से दिल में उतरी जा रहीं है ।
ए रहबर ये बता दे क्या वो गुंज तेरे दिल से आ रही है ।।

तुझे याद करते ही हिना कि जो महक आ रही है ।
क्या बताऊ वो किस कदर मेरी रुह को छूकर जा रही है।।

अचानक जो ये मौसम खिल सा उठा है ।
क्या होंठों पे तेरे एक मुस्कान सजी जा रही है ।।

ये हवां का झोंका सदा दे रहा है ।।
मेंरी धडकन तेरे आनेकी खबर दे रही है ।।

तु स्मृत गामी है ऐसे सब कहते है ।
आज उसकी इसबात मेरी रुह दे रही है ।।


रहबर = गुरु, guide
 खबर = indications, information 
स्मृतगामी = स्मरण करते ही पोहचने वाला
इसबात= प्रमाण , proof
सदा= आवाज

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अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त

             🙏🔥🙏

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गुरुवार २३/११/२३ , ३:५५ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

Thursday, 9 November 2023

गुरुने जब भरकर झोली मंगाई


गुरुने जब भरकर झोली मंगाई।
सभी ने बहुत कुछ लाया भाई।
लाया भाई। लाया भाई।

सभी ने बहुत कुछ लाया भाई।
लाया भाई। लाया भाई।

गुरुने जब भरकर झोली मंगाई।
झोली मंगाई भाई, झोली मंगाई ।

किसी ने झोली में भरा रुपय्या भाई ।
रुपय्या भाई ।रुपय्या भाई ।

किसी ने भरा सोना चांदी भाई ।
सोना चांदी भाई ।सोना चांदी भाई ।

फिर भी झोला रहा खाली भाई।
खाली भाई। खाली भाई।

मेरे पास था न चांदी सोना।     
चांदी सोना Iचांदी सोना।
 
ना ही था रुपय्या भाई।
रुपय्या भाई।रुपय्या भाई।

मैं ने अपना क्रोध उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

मैं ने अपना लोभ उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

मैं ने अपना मोह उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

मैं ने अपना मत्सर उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

मैं ने अपना मद उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

मैं ने अपना काम उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

आखरी चिज अब जो बची पास मेरे I 
बची पास मेरे Iबची पास मेरे I
वो चीज़ थी मेरा अस्तित्व भाई।अस्तित्व भाई।अस्तित्व भाई।

अस्तित्व में मेरा अहंकार छुपा था भाई।
छुपा था भाई।छुपा था भाई।

मैं ने अपना अहंकार उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई। झोले में भाई।

एक बहुत बड़ा आश्चर्य घटा भाई ।
आश्चर्य घटा भाई ।आश्चर्य घटा भाई ।
 
गुरु की झोली भर गयी भाई ।
भर गयी भाई । भर गयी भाई ।

भरी झोली देख गुरु हुवे बड़े प्रसन्न भाई ।  
प्रसन्न भाई । प्रसन्न भाई ।
 
मेरा बेडा पार लगाया भाई ।
लगाया भाई । लगाया भाई ।

गुरुवार ९/११/२०२३ , ६:५५ PM 
अजय सरदेसाई (मेघ ) 

सद्गुरूं त्वं नमामी


काषाय वस्त्रं विमल रुपं ।
त्रिमुखमंडलं षटकरं विभूं ।
जाज्वल्यं आनंद स्वरुपं ।
मेघहृदय निवासा कैवल्य दायकं ।
सद्गुरूं त्वं नमामी ।

🙏🔥🙏


गुरुवार ९/११/२०२३ , ८:३२ AM

अजय सरदेसाई (मेघ )




Sunday, 5 November 2023

दत्त माझा तारणहारी


असेच होते दत्त नामाने, आपण उरतच नाही।

दत्त आला दत्त गेला कधी कळतच नाही ।।

दत्त आत की दत्त बाहेर हे समजत नाही।

दत्त दत्त च दिसे सर्वत्र दुसरं उरतच नाही ।।

म्हणे तो दत्त बसला असे लोकांस्तव गिरनारी।

तो दत्त बसला मम हृदयी माझा तारणहारी।।


।।अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त।।


🙏🩷🙏🩷🙏


रविवार,५/११/२३, १:३२ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

होऊ कसा उतराई


जन्मों जन्मी जे पाय धरिले ते कुठे सोडुन जाऊ ।
तुझ्या चरणी करु दुःख रिते सर्व ,मोकळे होऊन राहु ।।

मायेत फसुन जन्मोजन्मी मी सोडली तुझी साथ ।
तरीही तु जन्म-जन्मांतरी न सोडला माझा हाथ।।

नृपेक्षेने सदा तुझे कृपाळा मज देतच आहेत हाथ ।
मी मुढ नी दांभिक असुन,असे काय पाहिले माझ्यात ।।

संकट समयी उभा राहशी तु ढाल बनुन।
दोन घास सदा भरवशी तु आई होऊन।।

सांगा सदगुरौं काय ही लिला काय माझी पुण्याई।
जन्मो-जन्मी या तुझ्या कृपेचा होऊ कसा उतराई ।।


रविवार,५/११/२०२३ ,११:४० AM
अजय सरदेसाई (मेघ)