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Thursday, 9 November 2023

गुरुने जब भरकर झोली मंगाई


गुरुने जब भरकर झोली मंगाई।
सभी ने बहुत कुछ लाया भाई।
लाया भाई। लाया भाई।

सभी ने बहुत कुछ लाया भाई।
लाया भाई। लाया भाई।

गुरुने जब भरकर झोली मंगाई।
झोली मंगाई भाई, झोली मंगाई ।

किसी ने झोली में भरा रुपय्या भाई ।
रुपय्या भाई ।रुपय्या भाई ।

किसी ने भरा सोना चांदी भाई ।
सोना चांदी भाई ।सोना चांदी भाई ।

फिर भी झोला रहा खाली भाई।
खाली भाई। खाली भाई।

मेरे पास था न चांदी सोना।     
चांदी सोना Iचांदी सोना।
 
ना ही था रुपय्या भाई।
रुपय्या भाई।रुपय्या भाई।

मैं ने अपना क्रोध उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

मैं ने अपना लोभ उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

मैं ने अपना मोह उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

मैं ने अपना मत्सर उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

मैं ने अपना मद उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

मैं ने अपना काम उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई।झोले में भाई।
फिर भी झोला खाली भाई।खाली भाई।खाली भाई।

आखरी चिज अब जो बची पास मेरे I 
बची पास मेरे Iबची पास मेरे I
वो चीज़ थी मेरा अस्तित्व भाई।अस्तित्व भाई।अस्तित्व भाई।

अस्तित्व में मेरा अहंकार छुपा था भाई।
छुपा था भाई।छुपा था भाई।

मैं ने अपना अहंकार उठाकर डाला गुरु के झोले में भाई।
झोले में भाई। झोले में भाई।

एक बहुत बड़ा आश्चर्य घटा भाई ।
आश्चर्य घटा भाई ।आश्चर्य घटा भाई ।
 
गुरु की झोली भर गयी भाई ।
भर गयी भाई । भर गयी भाई ।

भरी झोली देख गुरु हुवे बड़े प्रसन्न भाई ।  
प्रसन्न भाई । प्रसन्न भाई ।
 
मेरा बेडा पार लगाया भाई ।
लगाया भाई । लगाया भाई ।

गुरुवार ९/११/२०२३ , ६:५५ PM 
अजय सरदेसाई (मेघ ) 

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