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इसबात
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वो दूर से जो गुंज मेरे कोनों से दिल में उतरी जा रहीं है ।
ए रहबर ये बता दे क्या वो गुंज तेरे दिल से आ रही है ।।
ए रहबर ये बता दे क्या वो गुंज तेरे दिल से आ रही है ।।
तुझे याद करते ही हिना कि जो महक आ रही है ।
क्या बताऊ वो किस कदर मेरी रुह को छूकर जा रही है।।
अचानक जो ये मौसम खिल सा उठा है ।
क्या होंठों पे तेरे एक मुस्कान सजी जा रही है ।।
ये हवां का झोंका सदा दे रहा है ।।
मेंरी धडकन तेरे आनेकी खबर दे रही है ।।
तु स्मृत गामी है ऐसे सब कहते है ।
आज उसकी इसबात मेरी रुह दे रही है ।।
रहबर = गुरु, guide
खबर = indications, information
स्मृतगामी = स्मरण करते ही पोहचने वाला
इसबात= प्रमाण , proof
सदा= आवाज
खबर = indications, information
स्मृतगामी = स्मरण करते ही पोहचने वाला
इसबात= प्रमाण , proof
सदा= आवाज
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अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त
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गुरुवार २३/११/२३ , ३:५५ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
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