छल कपट सो रित जगत कि सभी प्राणी करे सोय I
साधु ज्यो करे छल कपट सो साधु न होय II
मेघ
२/१०/२०२१ , १४:१२ PM
दुख में करे सुमिरन I
सुख में भोग मां खोय II
सुख दुख तो सम साधु भये I
दोनों में सुमिरन होय II
मेघ
२/१०/२०२१ ,०३:३३ PM
‘मेघ’ ‘कबिर’ सब आवै जावै उनका कोई न मोल I
जे कथि कहहीं मुख से उनै , जांण वही अनमोल
II
सांचा एक
सुमिरन प्रभुका ते मन कि आँखे खोल I
प्रभुही सदगुरु में समायो सो तु सदगुरु सुमिरन
डोल II
- मेघ-
३/१०/२०२१ , १३:१७ PM
लडकपन गयो खेल कूद मां और जवानी काम I
बुढो शरिर गयो थक हारो कसु करै सुमिरन पान II
- मेघ-
३/१०/२०२१ , १३:१७ PM
इक
गुरु कॄपा ही केवलम I
प्राप्त
करावै कैवल्यम II
होवे पहिले खुब पिटाई
I
फिर पिलावे घट अमृतं II
-मेघ-
४/१०/२०२१ ,९:४३ AM
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