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Monday, 4 October 2021

ज्ञान के कुछ मोती

 

छल कपट सो रित जगत कि सभी प्राणी करे सोय I

साधु ज्यो करे छल कपट सो साधु न होय II

मेघ

२/१०/२०२१ , १४:१२ PM

 

दुख में करे सुमिरन I

सुख में भोग मां खोय II

सुख दुख तो सम साधु भये I

दोनों में सुमिरन होय II

मेघ

२/१०/२०२१ ,०३:३३ PM

 

‘मेघ’ ‘कबिर’ सब आवै जावै उनका कोई न मोल I

जे कथि कहहीं मुख से उनै , जांण वही अनमोल II

सांचा एक  सुमिरन प्रभुका ते मन कि आँखे खोल I

प्रभुही सदगुरु में समायो सो तु सदगुरु सुमिरन डोल II

- मेघ-

३/१०/२०२१ , १३:१७ PM


लडकपन गयो खेल कूद मां और जवानी काम I

बुढो शरिर गयो थक हारो कसु करै सुमिरन पान  II

- मेघ-

३/१०/२०२१ , १३:१७ PM


इक गुरु कॄपा ही केवलम I

प्राप्त  करावै  कैवल्यम II

होवे पहिले  खुब  पिटाई I

फिर पिलावे घट अमृतं II  

-मेघ-

४/१०/२०२१ ,९:४३ AM


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