पहिले
श्रवण दुजे कीर्तन I
फिर किजे मनमां नित्य स्मरण II
जब होवे तिनों अति स्वभावन I
पादसेवनं अर्चनं वन्दनं तबै मिले II
दास्य और सख्य को करो प्राप्त तुम I
फिर फलै अंतिम आत्म निवेदनम II
इस प्रकार कीजो नवविध भक्ति I
होवे सार्थ ये मानव जन्म उत्तम II
-मेघ-
४/१०/२०२१ , १०:३० AM
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