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Monday, 4 October 2021

नव-विधा भक्ति


पहिले श्रवण दुजे कीर्तन I

फिर किजे मनमां नित्य स्मरण II

जब होवे तिनों अति स्वभावन I

पादसेवनं अर्चनं वन्दनं तबै मिले II

दास्य और सख्य को करो प्राप्त तुम I

फिर फलै अंतिम आत्म निवेदनम II

इस प्रकार कीजो नवविध भक्ति I

होवे सार्थ ये मानव जन्म उत्तम II

 

-मेघ-

४/१०/२०२१ , १०:३० AM


 

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