कृष्ण कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण करो सुमिरन रस पान।
जगत मिला भी तो कुछ नही मिला गर देखो उस में न कृष्ण भगवान।
ब्रिंदाबन में जमुना तीर जे रची गोविंद ने रास विलास।
घर भुलाकर जमुना पनघट पर गोपियां दौडी कान्हा के पास।
बांसुरी
के मधुर सुर जब पड़े गोपियों के कानों पे।
उनही
जादुई स्वरों से लिपटी हुई आयी कान्हा के इशारों पे।
कृष्ण
गोपियों की रास पर अबतक किसी पुरुष ने आंख न थोपी।
त्रिमूर्ति भी जो देखने आए तो वह भी बन गए गोपी I
।। बोलो कृष्ण
कृष्ण।।
बुधवार , ६/९/२०२३ , १५:५६
अजय सरदेसाई ( मेघ )
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