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Monday, 18 December 2023

गुरु शिष्य संवाद: चिंता काहे सताए ?


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"""" गुरु शिष्य संवाद: चिंता काहे सताए ?""""

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शिष्य:

अब जब सबकुछ सौपा आपको फिर भी मनको चिंता काहे सताए ?

गुरु:

तुमने सबकुछ सौपा मुझको इस में नहीं कोई सच्चाई रे बिटवा नहीं कोई सच्चाई।

बस कहते हो के सबकुछ सौपा, लेकिन मन सौप आए रे बिटवा मन नाही सौप आए !

मन भी जो मुझको सौपा होता तो चिंता कहाँ से आए रे बिटवा चिंता कहाँ से आए !

तुम ने सोचा की सब कुछ सौपा मगर अहं रह गया रे बिटवा वो नहीं सौप पाए , वो नहीं सौप पाए

वही अहं जो छोडा तुने वही मन कहलाए रे बिटवा वही तो मन कहलाए

तु ये समझत नाही रे बिटवा तु ये समझत नाही

और पुछत हमको के चिंता काहे सताए रे बिटवा तोहे चिंता काहे सताए ?

 

सोमवार, १८/१२/२३ , :५५  PM

अजय सरदेसाई ( मेघ )


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