Total Pageviews

Saturday, 9 December 2023

गीत बग़ैर कोई साज़

मेरे पिया मुझसे बड़े नाराज़ चल रहे है कबसे I
जब उनके अस्तित्व से भी मैं अंजान थी तबसे I
मेरे नैन उन्हें देखने इक उम्र से बहुत है तरसे
अब के जब इस सावन में काले बदल बरसे I
क्या होगा ऐसे,उनका प्रेम मुज़पर भी बरसे I


जानते है वो के बिन उनके मेरे सभी बिगड़ेंगे काज I

कोई बताए फिर भी पिया क्यों है मुज़से इतने नाराज़ I
दिन रात उनका नाम जपा, मिला फिर भी इलाज I
मुझे अपनाने में उन्हें क्यों है इतना ज्यादा ऐतराज I
वो नहीं तो ऐसा है जैसे एक गीत बग़ैर कोई साज़ I


शनिवार , ९/१२/२०२३।  १०:०० AM 

अजय सरदेसाई (मेघ)


No comments:

Post a Comment