मेरे पिया मुझसे बड़े नाराज़ चल रहे है कबसे I
जब उनके अस्तित्व से भी मैं अंजान थी तबसे I
मेरे नैन उन्हें देखने इक उम्र से बहुत है तरसे I
अब के जब इस सावन में काले बदल बरसे I
क्या होगा ऐसे,उनका प्रेम मुज़पर भी बरसे I
जानते है वो के बिन उनके मेरे सभी बिगड़ेंगे काज I
कोई बताए फिर भी पिया क्यों है मुज़से इतने नाराज़ I
दिन रात उनका नाम जपा, मिला न फिर भी इलाज I
मुझे अपनाने में उन्हें क्यों है इतना ज्यादा ऐतराज I
वो नहीं तो ऐसा है जैसे एक गीत बग़ैर कोई साज़ I
शनिवार , ९/१२/२०२३। १०:०० AM
अजय सरदेसाई (मेघ)
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