तुझे राम कहुं या शिव कहुं
तुझे विष्णु कहुं या कृष्ण कहुं
इश्वर क्या मैं तुझे देवी कहुं
ये मुझे पता है तु अस्तित्व में है
ये मुझे नहीं पता,तू कौन है, कैसा है
किस रुप में हे इश्वर तुझे देखु मैं
किस रुप में हे इश्वर तुझे पुजु मैं
पिंड में तू, ब्रम्हांड भी तू
हर क्षण में तू,कण कण में भी तू
आदि तू ,अंत तू, अनादी भी तू
सचर में तू ,अचर में तू ,चरचर में भी तू ही तू
तु हर कहीं है पर कहीं नही
इंद्रियों के परे है तू
मन बुद्धि के भी परे है तू
जहाँ सोचू वहॉं है बस तु ही तू
जहाँ देखु वहॉं है बस तु ही तू
क्या ते रे सिवा कुछ है भी यहाँ ?
बस तु ही तू और कुछ नहीं यहाँ
ऐसा है जब तो एक कृपा कर इश्वर
अपने आपको तु मुझसे प्रकट कर
चाहे तो फिर अस्तित्व तेरा ईश्वर
क्षण के लिए तू मुझसे विलग कर
मगर ये कृपा कर इश्वर कृपा कर
अपने आपको तु मुझसे प्रकट कर
तु कौन है बस एक बार प्रकट कर
तु कौन है बस एक बार प्रकट कर
मंगलवार, ३/१२/२४, १५:१० hrs.
अजय सरदेसाई (मेघ)
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