नमो
नमोजी
शंकरा
देवाधिदेव
शंकरा
तेरे
अनुपन
तेज
से
मेरे
जिवन
से
तिमीर
हरा
स्थितप्रज्ञ
जो
वो
सांब
तू
जिवन
का
आधार
तू
कृपा
की
बरसात
तू
चाहु
जिसे
वो
आस
तू
नमो
नमोजी
शंकरा
देवाधिदेव
शंकरा
तेरे
अनुपन
तेज
से
मेरे
जिवन
से
तिमीर
हरा
आदीनाद
ओंकार
तू
अनंत
जो
वो
महाकाल
तू
अक्राल
तू
विक्राल
तू
कण
भी
तू
विशाल
तू
नमो
नमोजी
शंकरा
देवाधिदेव
शंकरा
तेरे
अनुपन
तेज
से
मेरे
जिवन
से
तिमीर
हरा
तू
शांत
भी
और
ऋद्ध
तू
सुर
असुरों
का
आराध्य
तू
ब्रम्हांड
थरथर
जिसे
कांपता
वो
प्रलयंकारी
रुद्र
तू
नमो
नमोजी
शंकरा
देवाधिदेव
शंकरा
तेरे
अनुपन
तेज
से
मेरे
जिवन
से
तिमीर
हरा
तुझे
जाने
कौन
निराकार
तू
तू
सभी
कुछ
सब
आकार
तू
सभी
मे
है
शिव
निवास
तेरा
हर
जिवनिर्जिव
का
आधार
तू
नमो
नमोजी
शंकरा
देवाधिदेव
शंकरा
तेरे
अनुपन
तेज
से
मेरे
जिवन
से
तिमीर
हरा
तू
श्वेत
और
सुंदर
तू
भक्तों
का
प्रेम
सागर
तू
जिस
सागर
में
है
विष्णू
धाम
वो
आनंद
का
क्षिरसागर
तू
नमो
नमोजी
शंकरा
देवाधिदेव
शंकरा
तेरे
अनुपन
तेज
से
मेरे
जिवन
से
तिमीर
हरा
तू
आत्मा
और
परमात्मा
तू
अखंड
ब्रम्हांड
की
विश्वात्मा
तू
तू
ज्ञान
ज्ञानी
और ज्ञानद
भी
तू
तू
स्वयं
मोक्ष
और
मोक्षद
भी
तू
नमो
नमोजी
शंकरा
देवाधिदेव
शंकरा
तेतेरे
अनुपन
तेज
से
मेरे
जिवन
से
तिमीर
हरा
रविवार,
२/२/२५
, १२:४६
PM
अजय
सरदेसाई
(मेघ)
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