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Saturday, 12 October 2024

हे इश्वर शायद


हे इश्वर शायद तुझे याद करने का समय आया ।
अस्तित्व तेरा परखने का शायद अब समय आया ।।
उम्रभर बिना कोई सवाल किये दिलसे तुझे पुजा मैंने।
अब उसी सेवा का सिला मांगने का समय आया।।
अगर तुम हो ही नही तब तो कोई शिकायत का सवाल ही नही।
मगर तुम हो अगर तो शिकवा तुम से करने का समय आया।।
काश के मेरी दुआ तुम तक पहुंचे।
न जाने मुझे तुमपर क्यों मलाल आया।।
तु अगर है तो सुन मेरी, एक बार सामने आ।
आज जिभर के तुम से बातें करु,ये खयाल आया।।
इम्तेहान यह मेरा ही नही तेरा भी है।
दोनों के इम्तेहान का आज देख समय आया।।
गुरुवार, ११/१०/२०२४ , १४:३२ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)



 

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