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Sunday, 10 November 2024

रहस्योपनिषद


हिरंण्य गर्भं,गर्भस्य हेमबिजं, विभावसो:

तेन गर्भोत्भव सर्वं इदं दृष्यते ।।

कया सा?यस्या मध्ये हेमगर्भो वर्तते।

सा मातरं सर्वसृष्टेः समृद्धम्।।

 

एषा सत्यं!

 

सृष्टेः मातरं किम् रूपं दृश्यते?

कश्चिद् जानेत्?

दृष्टेर् दृष्टिं कः पश्यति?

कश्चिद् पश्यति।

 

एषा सत्यं। इति रहस्य।

 

हिरण्य गर्भ, गर्भ का सोने जैसा बीज है, जो प्रकाशमय है।

उससे यह समस्त दृश्य सृष्टि उत्पन्न होती है।।

कौन है वह,जिसमे यह हिरण्यगर्भ विद्यमान है।

वही सम्पूर्ण सृष्टि की माता है।।

 

यही सत्य है।

 

यह सृष्टि की माता कैसी दिखती है?

कौन जानता है?

दृष्टा की दृष्टि को किसने देखा है?

किसीने नहीं।

 

यही सत्य है ! यही रहस्य है।


रविवार , १०/११/२०२४  १६:५० PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

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