ईश जैसे चाहें, वैसे ही होई,
जो ईश न चाहें, तो कछु न होई।
ऐसो कौन होई, जो ईश्वर से करे शिष्टाई?
ईश ही एकमेवाद्वितीय, उसके जैसो और कोई नाई।
चौदह भुवन माँ, करी चौरासी कोट घूमाई,
जहाँ भी गयो, ईश के सिवा और कोई नाहीं।
दसों दिशामा, ब्रह्मांड के घेरे मा,
ईश सिवा और कछु नाहीं।
फिर काहे को छिपा रहिन वो?
आँखों से मोरी, काहे वह दिखत नाहीं?
शनिवार, १८/१/२०२५ ,१६:३८ hrs.
अजय सरदेसाई (मेघ)
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