जब तु ही है साहील और तु ही नाखुदा I
फिर ये कश्ती किस लिए तु मुझे ये बता II1 II
तु देखता है मुझे हर दम,मैं आंखों से तुझे देख नहीं सकता I
फिर भी ये चोली दामन का साथ हमारा क्युं है तू मुझे बता II2 II
तेरी याद से दिल भर आए तेरे नाम से आंख I
ये कैसा है अजब प्यार हमारा तुम्हारा ये बता II3 II
अनंत ब्रम्हांड को व्यापकर भी तु दस उंगली बाकी रहा I
मैं बस इक तिंनका फिर तु मेरे दिल में कैसे समाया ये बता II4 II
तेरे मेरे लौकिक रुप में अंतर है बहुत ही बड़ा I
फिर हमारा अलौकिक स्वरुप एक क्युं है ये बता II5 II
तुम में और मुझ में जब कोई अंतर ही नहीं I
फिर ये पर्दादारी किस लिए तू मुझे ये बता II6 II
कश्ती
= शरीर , body
बुधवार, दिनांक १०/१/२०२४ , १०:३० PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
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