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Sunday 7 January 2024

ये कैसी कृपा है तेरी ऐ गोपाल


श्रीमद भगवत दशम स्कन्द

 

यस्याहमनुगृह्णामि हरिष्ये तद्धनं शनैः

ततोऽधनं त्यजन्त्यस्य स्वजना दुःखदुःखितम्

यदा वितथोद्योगो निर्विण्णः स्याद्धनेहया

मत्परैः कृतमैत्रस्य करिष्ये मदनुग्रहम्

तद्ब्रह्म परमं सूक्ष्मं चिन्मात्रं सदनन्तकम्

विज्ञायात्मतया धीरः संसारात्परिमुच्यते

अतो मां सुदुराराध्यं हित्वान्यान् भजते जनः

 

(#श्रीमद्भागवतपुराण)


भगवान श्रीकृष्ण ने कहाराजन्!

जिस पर मैं कृपा करता हूँ, उसका सब धन धीरे-धीरे छीन लेता हूँ। जब वह निर्धन हो जाता है, तब उसके सगे-सम्बन्धी उसके दुःखाकुल चित्त की परवा करके उसे छोड़ देते हैं फिर वह धन के लिये उद्दोग करने लगता है, तब मैं उसका प्रयत्न भी निष्फल कर देता हूँ। इस प्रकार बार-बार असफल होने के कारण जब धन कमाने से उसका मन विरक्त हो जाता है, उसे दुःख समझकर वह उधर से अपना मुँह मोड़ लेता है और मेरे प्रेमी भक्तों का आश्रय लेकर उनसे मेल-जोल करता है, तब मैं उस पर अपनी अहैतुक कृपा की वर्षा करता हूँ मेरी कृपा से उसे परम सूक्ष्म अनन्त सच्चिदानन्दस्वरुप परब्रम्ह की प्राप्ति हो जाती है। इस प्रकार मेरी प्रसन्नता, मेरी आराधना बहुत कठिन है। इसी से साधारण लोग मुझे छोड़कर मेरे ही दूसरे रूप अन्यान्य देवताओं की आराधना करते हैं

 

ऐ भगवन तू मुझे हर पल हर घड़ी है देखता।

ऐ कृष्ण मैं तुम्हें हर पल हर घड़ी हुं स्मरता।

इस देखने स्मरने में बहुमुल्य काल बित रहा।

ऐ भगवन तू क्यों यु मेरी कठिन परीक्षा ले रहा।

तूने मुझसे मेरा सब कुछ छीन लिया।

धीरे धीरे सब धन छीन लिया।

तूने हे श्याम सब वैभव छीन लिया।

जब पूर्ण निर्धन कर लिया।

सब सगे- सम्बन्धीयोंने ने छोड़ दिया।

धन जुटाने का हर प्रयत्न तूने विफल कर दिया।

तूने ऐसा क्यों किया भगवन। तूने ऐसा क्यों किया ?

मैं तेरा था।

मेरा मन भी तेरा था।

जो धन लिया तूने।

वह धन भी तेरा था।

इस कठिन परीक्षा से तुझे क्या मिला हे गोपाल।

बस बहुमूल्य वक़्त अपने मिलन का बिगड़ गया न गोपाल !

तुम कहते मुझे मैं सब छोड़ आता न रे गोपाल।

तुम से और कौन मुझे प्यारा है रे गोपाल ?

इतना समय तो न जाता न गोपाल !

देखो ये वक्त निकल रहा है क्यों न इसे सोचते।

जिव का शिव से मिलाप टल रहा तुम क्यों न ये सोचते।

सिर्फ आभास अपना क्यों देते हो दर्शन क्यों न तुम देते ऐ गोपाल।

ये कैसी कृपा है तेरी ऐ गोपाल , तुम दर्शन क्यों नहीं देते  रे गोपाल?

 

 


II अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त II

 

रविवार  दिनांक //२४ , :२० PM

अजय सरदेसाई (मेघ)


 

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