आजका दिन है बड़ा सुन्दर सुहाना ।
दत्तगुरु से मेरा रिश्ता है बड़ा पुराना ।
चरणों में उनके है मेरा ठिकाना ।
जिवन का यह एक सच है पुराना ।
जिवन में जब कोई आंधी आवे ।
बस नाम से ही उनके विनाश पावे ।
जो भी नित्य श्रीपाद सुमिरन गावे ।
सकल सुख समृद्धि जिवन में पावे ।
दत्तगुरु पद्म युग्म भव पार करावे ।
सगुण को निर्गुण की पहचान करावे ।
आत्मानंद अमृत में जिव को नित तैरावे ।
दत्तात्रेय नाम बडे बडे चमत्कार करावे ।
आओ जी आओ सभी गुणीजन आओ ।
दत्तप्रभु के चरण गुण नित सब गाओ ।
धन्य है वो भक्त जो गुरु चरण रज पावे ।
भव संकट में सदा गुरु को समीप पावे ।
दत्त दत्त दत्त दत्त का गजर बढावो ।
अपने जीवन को सरल और सुखी बनावो ।
IIअवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्तII
शनिवार दिनांक ६/१/२०२४, १०:४८ AM
अजय सरदेसाई (मेघ)
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