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Saturday 17 February 2024

तुम सतगुरु मेरे ,मैं तुम पर बलिहारी


 

तुम हो अमित, निर्गुण निराकार।
मैं हूँ,सिमित, इक छोटा सा आकार।

तुम इंद्रिय रहीत भगवन, उनसे भी परे।
मैं मोहताज इंद्रियों का मन से बंधा रे।
तुम मेरे लिए सिमीत हो जाओ।
अपना लघु स्वरुप दिखलाओ।
पंचेंद्रियों से आकलन हो जिसका।
उस आकार में प्रकट हो जाओ।
मैं तुम्हें फिर जी भर देखू
छबी तुम्हारी हृदय में समेटूं
अर्जुन को कुरुक्षेत्र में विराट स्वरुप दिखाया।
कुमसी में यतीश्वर त्रिविक्रम वहीं दर्शन पाया
तुम हो सम्पूर्ण ! तुम्ही जगत के पालनहारी।
मैं तुम बिन अपूर्ण हूँ, हे विभो बलिहारी1   
तुम सतगुरु मेरे ,मैं तुम पर बलिहारी2

 

 

शनिवार, १७//२०२४ , :४३ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)


1 बलवान , शक्तिवान

2 न्योछावर , श्रद्धा आदि के कारण अपने आपको उत्सर्ग कर देना

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