बखत बहुत बिकट भयो रे श्याम।
तुम बिन कौन दिखावे मझको सही डगर रे श्याम।
बखत बहुत बिकट भयो रे श्याम।।१।।
बस मांगु मैं साथ तिहारो और कछू भी नाही रे श्याम I
बखत बहुत बिकट भयो रे श्याम।।२।।
तोरे सुंदर रुप को निहारु और अपने काज सवारु रे श्याम
बखत बहुत बिकट भयो रे श्याम।।३।।
तोहरी मधुर बांसुरी बजा और मन मारो मोह लिजो रे श्याम ।
बखत बहुत बिकट भयो रे श्याम।।४।।
भव जमघट में घिरा हुआ मै अब तुमही छुडाओ रे श्याम ।
बखत बहुत बिकट भयो रे श्याम।।५।
१५ जुलै २०२३
०७:०० PM
अजय सरदेसाई 'मेघ'
No comments:
Post a Comment